खून बहा क्या?
मिश्रा पंडित या मियां अशफ़ाक़ रहते थे जहाँ,
कोई खबर आयी क्या वह से?
कल वहां से धुआँ उठता देखा था दोपहर में,
सूरज छुप गया था उसे धुएँ के डर से।
काफ़ी देर तक इंतज़ार किया था उसका,
बाद में पता चला के वो तो क़त्ल कर दिया गया था।
ख़बर पढ़ी थी अख़बार में ,
बड़ा अफ़सोस हुआ।
सुना कि सफ़ीना के बच्चे को मीरा के पति ने मारा,
सच है क्या?
उसकी माँ पागल सी हो गयी है,
उसी मीरा के प्रेम के सहारे जी रही है,
मोहल्ले में किसी अनजान को देख चीख पड़ती है,
कहती है उसके बच्चे को मारने वाले आ गए।
सब परेशां है उसकी इस हरकत से,
अख़बार का कागज़ तो कुछ और ही कह रहा था।
मिश्रा पंडित याद है?
कल बाज़ार में मिले थे ,
अजीबोग़रीब हरकतें करते हुए ,
मियां अशफ़ाक़ के यतीम बच्चों सँभाल रहे थे।
अजीब पागलपन सवार है सबके सर पे,
एक दूसरे की मदद में लगे है।
कल के खूनी वाकयों के बाद भी,
राजनीतिक पार्टियाँ अपना सर खुरच खुरच के खून निकल रही है अब।
इतना ख़र्च करने के बावज़ूद ये हालात कैसे!
मिश्रा पंडित या मियां अशफ़ाक़ रहते थे जहाँ,
कोई खबर आयी क्या वह से?
कल वहां से धुआँ उठता देखा था दोपहर में,
सूरज छुप गया था उसे धुएँ के डर से।
काफ़ी देर तक इंतज़ार किया था उसका,
बाद में पता चला के वो तो क़त्ल कर दिया गया था।
ख़बर पढ़ी थी अख़बार में ,
बड़ा अफ़सोस हुआ।
सुना कि सफ़ीना के बच्चे को मीरा के पति ने मारा,
सच है क्या?
उसकी माँ पागल सी हो गयी है,
उसी मीरा के प्रेम के सहारे जी रही है,
मोहल्ले में किसी अनजान को देख चीख पड़ती है,
कहती है उसके बच्चे को मारने वाले आ गए।
सब परेशां है उसकी इस हरकत से,
अख़बार का कागज़ तो कुछ और ही कह रहा था।
मिश्रा पंडित याद है?
कल बाज़ार में मिले थे ,
अजीबोग़रीब हरकतें करते हुए ,
मियां अशफ़ाक़ के यतीम बच्चों सँभाल रहे थे।
अजीब पागलपन सवार है सबके सर पे,
एक दूसरे की मदद में लगे है।
कल के खूनी वाकयों के बाद भी,
राजनीतिक पार्टियाँ अपना सर खुरच खुरच के खून निकल रही है अब।
इतना ख़र्च करने के बावज़ूद ये हालात कैसे!
अब मियां अशफ़ाक़ के बच्चे मिश्रा पंडित को पापा कहने लगे है,दूर फिर कोई धुआँ उठाने की तैयारी में है।
सुबह मदरसे में क़ुरआन पढ़ शाम मंदिरों की घंटियां बजाकर खेलते है।
मीरा और सफ़ीना सुबह की धूप सेंक रहे है ,